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दुसरा भाग : भगवान बुद्ध के धम्म के बारे में विविध मत - भगवान बुद्ध और उनका धम्म (भाग ४३) - लेखक -  डॉ. भीमराव आम्बेडकर

दुसरा भाग : भगवान बुद्ध के धम्म के बारे में विविध मत

१. दूसरों ने उनके धम्म को किस प्रकार समझा ?

१. "भगवान बुद्ध की यथार्थ शिक्षायें कौन सी है?"

२. यह एक ऐसा प्रश्न है जिस पर बुद्ध के कोई दो अनुयायी अथवा बुद्ध धम्म के कोई दो विद्यार्थी एकमत नहीं प्रतीत होते ।

Different views about the Dhamma of Lord Buddha - Bhagwan Buddha aur Unka Dhamma - Written by dr Bhimrao Ramji Ambedkar

३. कुछ के लिये 'समाधि' ही उनकी खास शिक्षा हैं ।

४. कुछ के लिये 'विपश्यना' ही है ।

५. कुछ के लिये बुद्ध धम्म चन्द विशेष रूप से दीक्षित लोगों का धम्म है । कुछ के लिये यह बहुत लोगों का धम्म हैं ।

६. कुछ के लिये इसमें शुल्क दार्शनिकता के अतिरिक्त और कुछ नहीं ।

७. कुछ के लिये यह केवल रहस्यवाद हैं ।

८. कुछ के लिये यह संसार से स्वार्थ पूर्ण पलायन है ।

९. कुछ के लिये यह हृदय की प्रत्येक छोटी-बड़ी भावनाओं को दफना देने का व्यवस्थित शास्त्र हैं ।

१०. बुद्ध-धम्म के सम्बन्ध में और भी नाना मतो का संग्रह किया जा सकता हैं ।

११. इन मतों का परस्पर विरोध आश्चर्यजनक हैं ।

१२. इनमे से कुछ मत ऐसे लोगों के हैं जिनके मन में किसी खास एक बात के लिये विशेष आकर्षण है । ऐसे ही लोगों में से कुछ समझते हैं कि बुद्ध-धम्म का सार, समाधि या विपश्यना में अथवा चन्द दीक्षित लोगों का धम्म होने में हैं ।

१३. कुछ दूसरे मतों का कारण यह है कि बुद्ध धम्म के बारे में लिखने वाले अनेक लोग प्राचीन भारतीय इतिहास के पण्डित हैं । उनका बौद्ध धम्म का अध्ययन आकस्मिक है और इतिहास से सम्पर्क रहने के ही कारण हैं ।

१४. उनमें से कुछ बुद्ध धम्म के विद्यार्थी है ही नहीं ।

१५. वे नृवंश-शास्त्र के विद्यार्थी भी नहीं, वह शास्त्र जो धम्म की उत्पत्ति और विकास से भी सम्बद्ध हैं ।

१६. प्रश्न पैदा होता है कि क्या भगवान् बुद्ध का कोई सामाजिक सन्देश था वा नहीं?

१७. जब उत्तर देने के लिये जोर डाला जाता है तो बुद्ध धम्म के पण्डित प्रायः दो बातों पर विशेष बल देते हैं । वे कहते हैं-

१८. भगवान् बुद्ध ने अहिंसा की शिक्षा दी थी ।

१९. भगवान् बुद्ध ने शान्ति की शिक्षा दी थी ।

२०. प्रश्न है- "क्या बुद्ध ने कोई दूसरा सामाजिक संदेश दिया?"

२१. "क्या बुद्ध ने 'न्याय' की शिक्षा दी ?"

२२. "क्या बुद्ध ने 'मैत्री' की शिक्षा दी ?"

२३. "क्या बुद्ध ने 'स्वतन्त्रता की शिक्षा दी ?"

२४. "क्या बुद्ध ने 'समानता' की शिक्षा दी ?" ने

२५. "क्या बुद्ध ने 'भ्रातृभाव' की शिक्षा दी ?"

२६. “क्या बुद्ध कार्ल मार्क्स के मुकाबले पर खड़े हो सकते हैं?"

२७. बुद्ध-धम्म का विचार करते समय इन प्रश्नों को प्रायः कभी उठाया ही नहीं जाता ।

२८. मेरा उत्तर है कि भगवान् बुद्ध का एक सामाजिक संदेश है । उनका सामाजिक संदेश इन सब प्रश्नों का उत्तर है । लेकिन उन सब प्रश्नों के उत्तरों को आधुनिक लेखकों ने दफना दिया है ।

 

२. भगवान् बुद्ध का अपना वर्गीकरण

१. भगवान् बुद्ध ने धम्म का अपने ढंग का वर्गीकरण किया हैं ।

२. पहला वर्ग " धम्म" हैं ।

३. उन्होंने एक दूसरा वर्ग माना है, जो यद्यपि 'धम्म' शब्द के अन्तर्गत ही ग्रहण किया जाता है, किन्तु जो वास्तव में 'अधम्म' है ।

४. उन्होंने एक तीसरा वर्ग माना है जिसे उन्होंने 'सद्धम्म' कहा हैं ।

५. तीसरा वर्ग 'धम्म के दर्शन के लिये हैं ।

६. भगवान् बुद्ध के धम्म को समझने के लिये आवश्यक है कि तीनों वर्गों को भली प्रकार समझा जाय- धम्म को, धम्म सद्धम्म को ।



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