यह लेख भगत सिंह ने जेल में रहते हुए लिखा था और यह 27 सितम्बर 1931 को लाहौर के अखबार द पीपल “ में प्रकाशित हुआ । इस लेख में भगतसिंह ने ईश्वर कि उपस्थिति पर अनेक तर्कपूर्ण सवाल खड़े किये हैं और इस संसार के निर्माण, मनुष्य के जन्म, मनुष्य के मन में ईश्वर की कल्पना के साथ साथ संसार में मनुष्य की दीनता उसके शोषण,
A new question has cropped up. Is it due to vanity that I do not believe in the existence of an omnipotent, omnipresent and omniscient God? I had never imagined that I would ever have to confront such a question. But conversation with some friends has given me a hint that certain of my friends —if I am not claiming too much in thinking them to be so— are inclined to conclude from the brief contact they have had with me, that it was too much on my part to deny the existence of God and that there was a certain amount of vanity that actuated my disbelief. Well, the problem is a serious one. I do not boast to be quite above these human traits. I am a man and nothing more. None can claim to be more. I also have this weakness in me. Vanity does form a part of
जो कुछ मैं कर पाया हूं, वह जीवन-भर मुसीबतें सहन करके विरोधियों से टक्कर लेने के बाद ही कर पाया हूं। जिस कारवां को आप यहां देख रहे हैं, उसे मैं अनेक कठिनाइयों से यहां ले आ पाया हूं। अनेक अवरोध, जो इसके मार्ग में आ सकते हैं, के बावजूद इस कारवां को बढ़ते रहना है। अगर मेरे अनुयायी इसे आगे ले जाने में असमर्थ रहे
प्रस्तावना भाग- I धर्मिक पहली पहेली : यह जानने में कठिनता कि कोई हिंदू क्यों है ? दूसरी पहेली : वेदों की उत्पत्ति - ब्राह्मणों की व्याख्या अथवा वाग्जाल का एक प्रयास तीसरी पहेली : वेदों की उत्पत्ति पर अन्य शास्त्रों के साक्ष्य चौथी पहेली : ब्राह्मणों ने सहसा क्यों घोषित किया कि वेद संशयरहित और असंदिग्ध
विषय सूची भाग 1 1. हिंदुत्व का दर्शन भाग II 1. भारत तथा साम्यवाद की पूर्वापेक्षा 2. हिंदू समाज व्यवस्था इसके मूलभूत सिद्धांत 3. हिंदू समाज व्यवस्था इसकी अनोखी विशेषताएं भाग III 1. हिंदुत्व के प्रतीक भाग I हिंदुत्व का दर्शन 'फिलासफी ऑफ हिंदुइज्म' शीर्षक के अंतर्गत लिखी गई मूल अंग्रेजी की पांडुलिपि अपने