जो कुछ मैं कर पाया हूं, वह जीवन-भर मुसीबतें सहन करके विरोधियों से टक्कर लेने के बाद ही कर पाया हूं। जिस कारवां को आप यहां देख रहे हैं, उसे मैं अनेक कठिनाइयों से यहां ले आ पाया हूं। अनेक अवरोध, जो इसके मार्ग में आ सकते हैं, के बावजूद इस कारवां को बढ़ते रहना है। अगर मेरे अनुयायी इसे आगे ले जाने में असमर्थ रहे तो उन्हें इसे यहीं पर छोड़ देना चाहिए, जहां पर यह अब है । पर किन्हीं भी परिस्थितियों में इसे पीछे नहीं हटने देना है। मेरी जनता के लिए मेरा यही संदेश है।
- डॉ. भीमराव अम्बेडकर
2. वह समाज जिसे हिंदुओं ने बनाया
भाग- II
6. करोड़ों की आबादी को नकारने का प्रयास
9. उनकी कामनाएं हमारे लिए कानून हैं।
10. श्री गांधी की छत्रछाया में
भाग-III
14. जातिप्रथा और धर्म-परिवर्तन
16. धर्म-परिवर्तन करने वाले की स्थिति
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