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1. कौरवों ने पांडवों के अस्तित्व का पता लगाने के लिए गुप्तचर भेजे, परंतु वे गुप्तचर दुर्योधन के पास लौट आते हैं और बताते हैं कि वे पांडवों का पता लगाने में असमर्थ हैं। ये दुर्योधन की आज्ञा के अभिलाषी हैं कि अब क्या किया जाए ? (विराट पर्व, अध्याय-25)
2. दुर्योधन अपने सलाहकारों से परामर्श करता है। कर्ण ने कहा कि अन्य गुप्तचर भेजे जाएं। दुःशासन ने कहा कि पांडव समुद्र पार चले गए होंगे। परंतु उनकी खोज की जाए। - (वही, अध्याय-26)
3. द्रोण ने कहा कि पांडवों को हराना अथवा उन्हें नष्ट करना संभव नहीं है। वे तपस्वी के वेष में होंगे, अतः सिद्धों और ब्राह्मणों को गुप्तचर के रूप में भेजा जाए- (वही, अध्याय-27)
4. भीष्म द्रोण का समर्थन करते हैं।- (वही, अध्याय-28 )
5. कृपाचार्य ने भीष्म का समर्थन किया और कहा पांडव हमारे सबसे बड़े शत्रु हैं। परंतु बुद्धिमान लोग छोटे शत्रुओं की भी अवहेलना नहीं करते हैं। जब वे अज्ञातवास में हैं तो आप अभी से जाकर सेनाओं को एकत्र करें। (वही, अध्याय - 29 )
6. इसके बाद त्रिगढ़ के सम्राट सुशर्मा ने एक अलग विषय प्रस्तुत किया। उसने बताया कि कीचक के बारे में 'मैंने' सुना है कि उसका निधन हो गया है, जो सम्राट विराट का सेनापति था। सम्राट विराट का सेनापति था। सम्राट विराट हमें अत्यधिक कष्ट देने वाला है। कीचक के निधन के बाद विराट को बहुत अधिक दुर्बल होना चाहिए। विराट के साम्राज्य पर क्यों न आक्रमण किया जाए? यह सबसे उपयुक्त समय है । कर्ण ने भी सुशर्मा का समर्थन किया। पांडवों के बारे में चिंता क्यों की जाए? ये पांडव धन और सेना से वंचित हैं तथा परास्त हैं। उनके बारे में परेशान क्यों हुआ जाए? वे अब तक मौत की गोद में चले गए होंगे। इस खोज - अभियान का त्याग कर दिया जाए और सुशर्मा की योजना को अमल में लाया जाए। - (वही, अध्याय-30)
7. सुशर्मा विराट पर आक्रमण करता है। सुशर्मा विराट की गायों को ले आता है। गायों के चरवाहे विराट को यह सूचना देते हैं और सम्राट से आग्रह करते हैं कि सुशर्मा का पीछा किया जाए तथा गायों की रक्षा की जाए। - (वही, अध्याय - 31 )
8. विराट युद्ध के लिए तैयार हो गया। इस बीच विराट के छोटे भाई शतनीक ने | सुझाव दिया कि अकेले जाने के बजाय वह अपने साथ कनक ( सहदेव), बल्लभ ( युधिष्ठिर), शांतिपाल (भीम) और ग्रांथिक (नकुल) को अपने साथ ले लें, ताकि वे सुशर्मा से युद्ध करने में उनकी सहायता करें। विराट ने इस सुझाव पर अपनी सहमति प्रकट की और वे सभी गए। - (वही, अध्याय - 31 )
9. सुशर्मा और विराट के बीच युद्ध । - (वही, अध्याय-32 )
10. युधिष्ठिर विराट की रक्षा करता है। - (वही, अध्याय-33)
11. विराट नगरी में घोषणा होती है कि उनके सम्राट सुरक्षित हैं। - (वही, अध्याय-34)
12. जब सम्राट विराट सुशर्मा का पीछा कर रहे थे, तभी दुर्योधन, भीष्म, द्रोण, कर्ण, कृप, अश्वत्थामा, शकुनि, दुःशासन, विविनशति, विकर्ण, चित्रसेन, दुर्मुख, दुशल और अन्य योद्धाओं के साथ विराट नगरी में घुस गए तथा विराट की गायों को पकड़ कर ले जाने लगे। चरवाहे सम्राट विराट के महल में आए और उन्हें यह समाचार दिया । उन्हें सम्राट को खोजने की आवश्यकता नहीं हुई, उन्हें सम्राट का पुत्र उत्तर मिल गया। इसलिए उन्होंने उसे ही यह समाचार दिया । - (वही, अध्याय - 35 )
13. उत्तर ने गर्व से कहा कि वह अर्जुन से श्रेष्ठ है और वह उनकी रक्षा कर लेगा । परंतु उसकी यह शिकायत थी कि उसका कोई सारथी नहीं है। द्रौपदी ने उसे बताया कि किसी समय ब्रह्मानंद अर्जुन का सारथी था। उससे क्यों न कहा जाए? उसने कहा कि उसके पास साहस नहीं है, अतः उसने द्रौपदी से निवेदन किया कि वह स्वयं जाकर उस सारथी से कहें। आप अपनी छोटी बहन मनोरमा से क्यों नहीं कहते। इसलिए उसने मनोरमा से कहा कि वह ब्रह्मनंद को ले आए। - (वही, अध्याय-36 )
14. मनोरमा ब्रह्मनंद को अपने भाइयों के पास ले जाती है और उत्तर उसे अपना सारथी बनने के लिए प्रेरित करता है। ब्रह्मनंद ने स्वीकृति दे दी और कौरवों के समक्ष उत्तर का रथ संभाल लिया। - (वही, अध्याय-37)
15. कौरवों की सेना देखकर उत्तर ने रथ छोड़ दिया और भागना प्रारंभ कर दिया। अर्जुन ने उसे रोक लिया। कौरवों ने यह देखकर संदेह करना प्रारंभ किया कि यह व्यक्ति अर्जुन होगा। अर्जुन ने उससे कहा कि इसमें भयभीत होने की कोई बात नहीं है । - (वही, अध्याय-38)
16. अर्जुन अपना रथ शामी वृक्ष तक ले गाया । इसे देखकर द्रोण ने कहा कि इस व्यक्ति को अर्जुन ही होना चाहिए। यह सुनकर कौरव अधिक बेचैन हो गए। परंतु दुर्योधन ने कहा कि यदि द्रोण सही है, तो यह समाचार हमारे लिए सुखद है क्योंकि तेरहवें वर्ष है से पूर्व ही पांडवों का पता लग गया है और उन्हें 12 वर्ष के लिए फिर वनवास का दंड भोगना पड़ेगा। - (वही, अध्याय-39)
17. अर्जुन, उत्तर से शामी वृक्ष पर चढ़ने के लिए कहता है तथा शस्त्र नीचे डालने को कहता है। - (वही, अध्याय - 40 )
18. उत्तर द्वारा शामी वृक्ष पर शव होने का संदेह करना । - (वही, अध्याय-41)
19. शस्त्रों को देखकर उत्तर का हतप्रभ होना । - (वही, अध्याय-42 )
20. अर्जुन द्वारा शस्त्रों का वर्णन । - (वही, अध्याय-43)
21. पांडवों के आवास के बारे में उत्तर की पूछताछ।- (वही, अध्याय-44)
22. वृक्ष से उतरते हुए उत्तर । - (वही, अध्याय-45)
23. हनुमान के चिह्न के साथ रथ। द्रोण इस बात से आश्वस्त हो जाते है कि वह अर्जुन ही है। कौरवों की सेना को अपशकुन दिखाई देते हैं। - (वही, अध्याय-46)
24. दुर्योधन सैनिकों को प्रोत्साहित करता है, जो द्रोण के यह कहने पर भयभीत हो गए थे कि वह अर्जुन है। द्रोण के प्रति कर्ण की भर्त्सना और दुर्योधन को यह सुझाव कि द्रोण को मुख्य सेनापति के पद से हटा दिया जाए। - (वही, अध्याय-47 )
25. कर्ण ने गर्व से यह घोषित किया और प्रतिज्ञा की कि वह अर्जुन को परास्त कर देगा। - (वही, अध्याय-48)
26. कृपाचार्य ने कर्ण को आत्मश्लाघी बनने और गर्व दिखाने पर चेतावनी दी। शास्त्रों द्वारा युद्ध को बुरा माना गया है। - (वही, अध्याय-49)
27. अश्वत्थामा कर्ण और दुर्योधन की भर्त्सना करता है, क्योंकि उन्होंने द्रोण की झूठी निंदा की है। - (वही, अध्याय-50 )
28. अश्वत्थामा ने कर्ण और दुर्योधन को अपशब्द कहे, क्योंकि उन्होंने द्रोण की निंदा की। कर्ण ने उत्तर दिया, 'अंततोगत्वा मैं केवल सूत हूं।' परंतु अर्जुन ने उसी प्रकार दुर्व्यवहार किया है, जिस प्रकार राम ने बाली के साथ किया था। - (वही, अध्याय - 50 )
29. भीष्म, द्रोण और कृप द्वारा अश्वत्थामा को चुप करा दिया गया तथा दुर्योधन और कर्ण ने द्रोण से क्षमा याचना की।- (वही, अध्याय 51 )
30. भीष्म का निर्णय कि पांडवों ने अपने बनवास के 13 वर्ष पूरे कर लिए हैं।- (वही, अध्याय-52)
31. अर्जुन ने कौरवों की सेना को परास्त कर दिया । - (वही, अध्याय - 53 )
32. अर्जुन कर्ण के भ्राता को पराजित करता है। अर्जुन, कर्ण को हराता है और कर्ण भाग जाता है।- (वही, अध्याय-54)
33. अर्जुन कौरवों की सेना का विनाश कर देता है तथा कृपाचार्य के रथ का विध्वंस कर देता है।- (वही, अध्याय-55)
34. देवता लोग आकाश में आ गए और उन्होंने अर्जुन तथा कौरवों की सेना के बीच घमासान युद्ध देखा । - (वही, अध्याय-56)
35. कृप और अर्जुन के मध्य युद्ध और कृप का युद्ध के मैदान से भाग जाना। - (वही, अध्याय-57)
36. द्रोण और अर्जुन के मध्य युद्ध और द्रोण का युद्ध के मैदान से भाग जाना। - (वही, अध्याय-58)
37. अश्वत्थामा और अर्जुन के मध्य युद्ध । - (वही, अध्याय - 59 )
38. कर्ण और अर्जुन के मध्य युद्ध । - (वही, अध्याय - 60 )
39. अर्जुन द्वारा भीष्म पर आक्रमण । - (वही, अध्याय-61)
40. अर्जुन कौरवों के सैनिकों को मौत के घाट उतारता है । - (वही, अध्याय-62 )
41. भीष्म की पराजय और उसका युद्ध के मैदान से पलायन । - (वही, अध्याय-64)
42. कौरवों के सैनिकों का मूर्छित हो जाना। भीष्म का यह कहना कि वे अपने गृह को लौट जाएं। (वही, अध्याय-66)
43. कौरव सैनिक अभय से अर्जुन के समक्ष आत्म-समर्पण करते हुए । उत्तर और अर्जुन विराट नगरी लौट आते हैं।- (वही, अध्याय-67)
44. विराट अपनी राजधानी में प्रवेश करता है तथा प्रजा उसका सम्मान करती है । - (वही, अध्याय-68)
45. पांडव सम्राट की सभा में प्रवेश करते हैं। - (वही, अध्याय-69)
46. अर्जुन अपने भाइयों का परिचय विराट से करवाता है। (वही, अध्याय-71 )
47. अर्जुन के पुत्र और विराट की पुत्री का विवाह । - (वही, अध्याय-72)
48. उसके बाद पांडव विराट नगरी को छोड़ देते है और वे उपप्लव नगरी में रहने लगते हैं।- (वही, अध्याय-72)
49. इसके बाद अर्जुन अपने पुत्र अभिमन्यु, वासुदेव और यादव को अमृत देश से लाता है। - (वही, अध्याय-72)
50. युधिष्ठिर के मित्र सम्राट काशिराज और शल्य दो अक्षौहिणी सेनाओं के साथ आते हैं। इसी प्रकार यज्ञसेन द्रुपदराज एक अक्षौहिणी सेना के साथ आता है । द्रौपदी के सभी पुत्र अजिक्य शिखंडी, धृष्टद्युम्न भी आ गए।- (वही, अध्याय-72)