चंद्रपुर - राज्य में चल रहे मराठा आरक्षण के विवाद की चिंगारी जिले में भी भड़कती नजर आ रही है. मराठा समाज को कुणबी जाति का प्रमाणपत्र देने का राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ ने तीव्र विरोध किया है. इस संबंध में शुक्रवार को शहर में ओबीसी महापंचायत हुई. इसमें जालना में मराठा समाज पर किए गए लाठीचार्ज का निषेध किया गया. साथ ही मराठा समाज को कुणबी जाति का प्रमाणपत्र विरोध कर आगामी चुनाव में इसका असर दिखने की चेतावनी दी गई. महापंचायत में ओबीसी समुदाय और अन्य की जाति निहाय जनगणना करने, ओबीसी समुदाय के छात्रावास को तुरंत शुरू करने और मराठा समुदाय को ओबीसी वर्ग में शामिल नहीं करने का प्रस्ताव रखा गया.
ओबीसी महापंचायत में कहा गया कि वे मराठा समाज को आरक्षण देने के विरोध में नहीं है. लेकिन यह सुविधा उन्हें ओबीसी के आरक्षण को छेड़े बगैर दी जानी चाहिए. ओबीसी (विजे, विमाप्र आदि) समाज में करीब 423 जातियों का समावेश है. अब मराठा आएंगे तो समाज को न्याय नहीं मिलेगा. मराठा समाज आर्थिक रूप से मजबूत है. अगर उनके पास निजामशाही के सबूत हैं, तो उन्हें आरक्षण दें. किंतु पूर्ण आरक्षण न दें. मराठा समाज ने आज तक बहुत मोर्चे निकाले, अब हमें एकजुट होने का समय आ गया है. ओबीसी समुदाय को एक बड़ा मार्च निकालना चाहिए. इसके लिए प्रत्येक तहसील में ओबीसी समाज की बैठक लेने पर चर्चा की गई.
ओबीसी महापंचायत में 11 सितंबर को जिलाधीश कार्यालय समक्ष राष्ट्रीय ओबीसी विद्यार्थी महासंघ के जिलाध्यक्ष रविंद्र टोंगे द्वारा अन्नत्याग आंदोलन करने की घोषणा की गई. साथ ही 17 सितंबर को ओबीसी समाज का महामोर्चा निकाला जायेगा. ओबीसी महापंचायत में राष्ट्रीय ओबीसी महासंघ, तेली महासंघ, माली महासंघ समेत कुल 20 संगठनों और विभिन्न राजनीतिक पदाधिकारी शामिल हुए. पंचायत में बबनराव फंड, अशोक जीवतोडे, सचिन राजुरकर, पूर्व विधायक देवराव भांडेकर, सुदर्शन निमकर, संदीप गिरे, सतीश भिवगडे, पुरुषोत्तम सातपुते, अरुण तीखे, श्याम लेडे, रजनी मोरे, डा. संजय घाटे, अनिल धानोरकर, सूर्यकांत, खनके मनीषा बोबड़े आदि उपस्थित थे.
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