6 जून 2023 को ‘ओबीसी राजनीतिक मोर्चे’ की पुणे जिला शाखा स्थापित करके पुणे लोकसभा क्षेत्र उपचुनाव लड़ने की घोषणा ओबीसी परिषद में और बाद में लिए गए पत्रकार परिषद में की गई, उसके बाद पुणे की राजनीति में हलचल मच गई। इस घोषणा का पहला परिणाम यह हुआ कि, पुणे के भाजपा कार्यकर्ता चुनाव रद्द कराने के लिए उनके बडे नेताओंपर दबाव बनाना शुरू कर दिए। वास्तव में आठ दिन पहले ही भाजपा के अध्यक्ष बावनकुळेजी ने पुणे में भाजपा कार्यकर्ताओं का सम्मेलन लेकर 'उपचुनाव जल्दी ही होगा, काम पर लग जाओ!' ऐसा आदेश देकर गए थे। जिसके अनुसार भाजपा के कार्यकर्ता पुणे लोकसभा क्षेत्र के उपचुनाव की तैयारी में लग भी गए थे। परंतु अपने ओबीसी राजनीतिक मोर्चे के चुनाव लड़ने की घोषणा से माहोल ही बदल गया।
दूसरा परिणाम यह हुआ कि, ओबीसी परिषद व बाद हुए पत्रकार परिषद में जो ओबीसी नेता मेरे अगल-बगल में बैठे थे उन्हें राष्ट्रवादी कांग्रेस व भाजपा के पुणे के नेताओं के फोन आने लगे। उनमें से एक को बीस हजार रुपए देकर स्वतंत्र ओबीसी कार्यक्रम आयोजित करने को कहा गया। जिसके कारण ओबीसी राजनीतिक मोर्चे में फूट होगी ऐसी उन्हें अपेक्षा थी।लातूर में भाजपा द्वारा आयोजित एक कार्यक्रम में हमारे मोर्चे के एक दूसरे नेता को मुख्य अतिथि के रूप में निमंत्रित किया गया। इस प्रकार के सारे प्रयत्न करने के बावजूद पुणे का ओबीसी राजनीतिक मोर्चा अभेद्य है, फलस्वरूप पुणे लोकसभा क्षेत्र का उपचुनाव उन्हें रद्द करना पड़ रहा है।
यह कोई पहला अनुभव है ऐसा नहीं है। फरवरी 2023 में कसबा विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव में हमें यही अनुभव मिला था। कसबा उपचुनाव की घोषणा के पहले ही 23 जनवरी 2023 को सपना माळी नाम की महिला कार्यकर्ता जो ओबीसी जनगणना के मुद्दे पर पुणे जिलाधिकारी कार्यालय के सामने अनशन पर बैठी थी, उसे समर्थन देने के लिए मैं भी उस अनशन में एक दिन के लिए शामिल हुआ था। उस अनशन के मंडप में भाषण करते हुए मुख्यत: एक ही मुद्दे पर जोर देते हुए मैंने कहा था कि, "बस अब बहुत हुए आंदोलन, मोर्चे, धरने, प्रदर्शन और भाषण, सभी प्रस्थापित पार्टियां उलट पलट कर सत्ता में आती रहती हैं किन्तु ओबीसी की एक भी मांग कभी पूरी नहीं की जाती। हम ओबीसी पांच साल आंदोलन करते रहें और चुनाव आने पर इन्हीं प्रस्थापित पार्टियों को वोट देकर उन्हें सत्ता में बिठाते रहें। इस तरह यदि ओबीसी की तरफ से फुकट में सत्ता मिल रही हो तो हम सत्ता में आकर ओबीसी का काम क्यों करें? ऐसा प्रस्थापित पार्टियों का मानना है। आप लोग जब तक एकजुट होकर इनके वोटबैंक पर चोट नहीं करेंगे तबतक ये पार्टियां ओबीसी को गंभीरता से नहीं लेंगी। इसलिए हम ओबीसी जनगणना के मुद्दे पर चुनाव लड़ने के लिए ओबीसी उम्मीदवार स्वतंत्र रूप से खड़ा करेंगे, उसकी शुरुआत कसबा विधानसभा क्षेत्र के उपचुनाव से करेंगे, जल्दी ही कसबा के उपचुनाव की घोषणा होने वाली है आप लोग काम पर लग जाइए।’’ सपना माळी इस उपचुनाव में उम्मीदवार के रूप में खड़ी हों यह भी मैंने सुझाव दिया।
मेरे इस भाषण का परिणाम क्या हुआ देखिए -
पिछले 28 सालों से संघ-भाजपा का गढ़ रहे कसबा विधानसभा क्षेत्र से सिर्फ गिरीश बापट जैसे संघी ब्राह्मण उम्मीदवार ही चुनकर आते रहने के बावजूद इस उपचुनाव में भाजपा ने ब्राह्मण उम्मीदवार के बजाय ओबीसी उम्मीदवार क्यों खड़ा किया? भाजपा ने ओबीसी उम्मीदवार दिया इसलिए कांग्रेस ने भी ओबीसी उम्मीदवार दिया, यह चमत्कार कैसे हुआ? यानी ओबीसी जनगणना के मुद्दे पर कांग्रेस भाजपा दोनों की नाक कटी हुई है, दोनों नकटे हैं। इसलिए हमारी की गई घोषणा के कारण दोनों पार्टीयों को ओबीसी उम्मीदवार देना पड़ा। ओबीसी जनगणना के मुद्दे पर स्वतंत्र उम्मीदवार खड़ा रहा तो अपना ब्राह्मण - मराठा उम्मीदवार पराजित हो सकता है, इस डर से दोनों पार्टियों को मजबूरी में ओबीसी उम्मीदवार देना पड़ा
ओबीसी राजनीतिक मोर्चे के स्थापना की प्रक्रिया पिछले दो - ढाई सालों से शुरू है, ओबीसी की स्वतंत्र राजनीति खड़ी किए बिना प्रस्थापित पार्टियां तुम्हें गंभीरता से नहीं लेंगी इसलिए प्रस्थापित पार्टियों के वोटबैंक पर ही चोट करने की जरूरत है। इसी उद्देश्य को ध्यान में रखकर ओबीसी राजनीतिक मोर्चे की स्थापना करना तय किया गया, उसके लिए 5 मार्च 2022 को पहली गोलमेज परिषद यवतमाल में ली गई, दूसरी परिषद 20 मार्च 2022 को सांगली में, तीसरी परिषद 9 अप्रैल 2022 को धुले में व चौथी परिषद 6 जून 2023 को पुणे में आयोजित की गई। अभी प्रत्येक जिले से आमंत्रण आ रहे हैं और जल्द ही महाराष्ट्र का दौरा शुरू होगा।
ओबीसी में हलचल होती है तो भाजपा के निर्णय कैसे बदलते हैं, भाजपा ओबीसी की उंगलियों पर कैसे नाचती है, यह मैंने कुछ उदाहरण देकर सिद्ध किया। ओबीसी व भाजपा के अटूट संबंधों का चढ़ाव उतार लेख के इस भाग में बताया। अब नाते-संबंधों का ट्विस्ट अगले भाग में - तब तक के जय ज्योति, जयभीम, सत्य की जय हो!
प्रोफे. श्रावण देवरे, मोबाईल- 94 227 88 546, Email- s.deore2012@gmail.com
Satyashodhak, obc, Rajarshi Chhatrapati shahu maharaj, Bahujan, Bharatiya Janata Party