बिहार जातीय जनगणना का पहला चरण पूरा

सर्वेक्षणः राज्य भर में कहीं परिवारों की संख्या बढ़ी, तो कहीं घटी

   पटना, राज्य में जाति आधारित गणना का पहला चरण पूरा हो गया है। इसके अंतर्गत शनिवार (21 जनवरी) की देर शाम तक सभी जिलों में डीएम की देख-रेख में तमाम घरों को गिनने का काम पूरा हो गया। सभी जिलों से इसकी समेकित रिपोर्ट देर शाम तक सामान्य प्रशासन विभाग में आनी शुरू हो गयी है। रविवार तक सभी जिलों से पूरी रिपोर्ट आने की संभावना है।

First phase of Bihar caste census completed   विभाग में इस कार्य के लिए विशेष सेक्शन संख्या 28 बनाया गया है। इस चरण के बाद यह पूरी तरह से स्पष्ट हो जायेगा कि राज्य में मौजूद घरों और किसी तरह के बसावटों में रहने वाले परिवारों की वास्तविक संख्या कितनी है। शुरुआती आकलन के मुताबिक, इनकी संख्या बढ़ने का अनुमान है। सभी जिलों से आंकड़े आने के बाद ही यह स्पष्ट होगा कि इसमें कितनी बढ़ोतरी हुई है। परिवारों की संख्या में कितने प्रतिशत की बढ़ोतरी हुई है। हालांकि जिलों से मिले आंकड़ों के मुताबिक कहीं परिवारों की संख्या अनुमानित संख्या से बढ़ी है तो कहीं घटी भी है। पटना, बेगूसराय, वैशाली, कैमूर, औरंगाबाद, रोहतास और बक्सर में अनुमान से परिवारों की संख्या कम मिली है। जबकि सीवान, गोपालगंज, सारण, जहानाबाद, नवादा, नालंदा
और भोजपुर में परिवारों की संख्या अनुमान से ज्यादा दर्ज की गई है। पहले चरण की गणना सात जनवरी को शुरू हुई थी। इस गणना के दूसरे चरण की शुरुआत अप्रैल में होने की संभावना है। अभी इसके शुरू होने की तारीख निर्धारित नहीं हुई है। इस गणना के पहले चरण को पूरा करने में एक लाख 75 हजार प्रगणक लगाए गए। प्रगणक के तौर पर शिक्षक से लेकर सेविका- सहायिका, पंचायत सेवक, आवास सहायक लगाए गए।

पहले चरण में घरों पर की गयी नंबरिंग

   पहले चरण के दौरान सभी घरों या किसी तरह के बसावटों पर नंबरिंग की गयी और इनमें रहने वाले परिवारों की संख्या को अंकित किया गया। घरों की दिवारों पर लाल चौखाना बनाकर मकान संख्या के साथ ऑब्लिक में उनमें रहने वाले परिवारों की संख्या अंकित कर दी गयी है। प्रगणकों ने सिर्फ उन्हीं घरों की गिनती की है, जिनमें लोग रह रहे हैं।

दूसरे चरण में जाति व सामाजिक - आर्थिक सर्वे

    इस गणना कार्य के दूसरे चरण में जिन घरों पर लाल निशान के नंबरिंग की गयी है, उनमें रहने वाले सभी लोगों की पूरी विस्तृत जानकारी एकत्र की जायेगी। इसमें उनकी जाति के साथ ही व्यक्तिगत जानकारी के अलावा सामाजिक और आर्थिक स्थिति से संबंधित पूरा विवरण भी प्राप्त की जायेगी। इसके लिए प्रगणक लोगों से एक निर्धारित प्रश्नावली के फॉर्मेट में दर्ज सवालों के उत्तर संबंधित व्यक्ति से पूछकर भरेंगे।

07 से 21 जनवरी तक पूरे राज्य में सभी घरों व बसावटों की गिनती की गई

75 हजार प्रगणक लगाए गए थे प्रथम चरण की जातीय गणना में

पटना में अनुमान से 5.64 लाख कम परिवार मिले

    पटना। पटना जिले में 20 लाख से अधिक परिवार होने का अनुमान था. लेकिन जब गणना कराई गई तो लगभग 14 लाख 35 हजार 269 परिवार ही मिले हैं। पांच लाख 64 हजार 731 परिवार अनुमान से कम मिले हैं। पटना जिले की जनसंख्या 2011 में 58 लाख 38 हजार 465 थी। जिले में 2001 से 2011 के बीच की जनसंख्या वृद्धि दर 25.7 प्रतिशत थी। इस आधार पर अनुमानित जनसंख्या 74 लाख 32 हजार 949 रखी गयी ।

पहले चरण में घरों में रहने वाले परिवारों को भी गिना गया

दूसरे चरण की शुरुआत अप्रैल महीने से होने का अनुमान

 

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