चामोर्शी - सप्रीम कोर्ट ने हाल ही में स्थानीय निकाय चुनावों के लिए ओबीसी प्रवर्ग को राजनीतिक आरक्षण की घोषणा की। बांठिया आयोग की रिपोर्ट के बाद कोर्ट ने यह फैसला सुनाया। लेकिन यह फैसला सुनाते वक्त सुप्रीम कोर्ट ने आदिवासी बहुल गड़चिरोली जिले का विचार नहीं किया। आज भी जिले के ओबीसी समाज के लोगों को शून्य प्रतिशत सामाजिक आरक्षण है । उन्हें किसी भी क्षेत्र में आरक्षण नहीं मिल रहा है । इस कारण ओबीसी समाज का सामाजिक आरक्षण समाज की जनसंख्या के आधार पर पूर्ववत करें, अन्यथा सभी प्रकार के चुनावों का बहिष्कार करने की चेतावनी भाजपा ओबीसी आघाड़ी के महामंत्री व चामोशी के पार्षद आशीष पिपरे ने दी है ।
पत्र-परिषद में पिपरे ने बांठिया आयोग का निषेध करते हुए कहा कि सरकार के वर्ष 1931 और 2011 की जनगणना के अनुसार गडचिरोली जिले में आदिवासियों की जनसंख्या 38 प्रतिशत और गैरआदिवासियों की जनसंख्या 62 प्रतिशत है। मात्र स्थानीय जनप्रतिनिधियों ने आदिवासियों की जनसंख्या को 50 प्रतिशत दिखाकर ओबीसी के सामाजिक आरक्षण को खत्म कर दिया है। ओबीसी समाज पर यह एक अन्याय होकर अब तक इसके खिलाफ कई बार आवाज उठाई गई। हाल ही में बांठिया आयोग की रिपोर्ट के अनुसार राज्य के ओबीसी बंधुओं के लिए राजनीतिक आरक्षण की घोषणा की गयी। मात्र सामाजिक आरक्षण के संदर्भ में किसी तरह की चर्चा नहीं की गई। वर्तमान में गड़चिरोली समेत राज्य के नंदूरबार जिले में ओबीसी संवर्ग के लोगों को आरक्षण का लाभ नहीं मिल रहा है। इस गंभीर समस्या का निवारण करने के लिए जिले के ग्राम पंचायत निहाय ओबीसी समाजकी जानकारी इकट्ठा कर सामाजिक आरक्षण के लिए सुप्रीम कोर्ट में याचिका दाखिल करने की मांग की गई। मांग पूरी न होने पर युवा संघ की ओर से न्यायालय में याचिका दाखिल करने की चेतावनी दी गई है। पार्षद पिपरे ने मांग की है कि सरकार द्वारा ओबीसी को राजनीतिक आरक्षण के साथ सामाजिक आरक्षण भी लागू करना चाहिए अन्यथा युवा संघ की ओर से गांवों में जागरुकता अभियान चलाकर आंदोलन करने की चेतावनी भी पिपरे ने दी।
Satyashodhak, obc, Mahatma phule, dr Babasaheb Ambedkar