सामाजिक न्याय के कानून का पालन कल,आज और कल जब संविधान भारत का है तो आरक्षण भी भारतीय संविधान के अनुसार होना चाहिए
जम्मू में दिनांक १६ मई को आल इन्डिया बैकवर्ड कलासेड फेडरेशन द्वारा मा . जस्टिस बी ईश्वरैरया जी के मुख्य अतिथ्य एव मा. जस्टिस वीरेन्द्र यादव जी विशिष्ठ अतिथ्य में प्रजापति धर्मशाला मे - एक दिवसीय ओबीसी कन्वेसन आयोजित हुई, जिसमें जम्मू कश्मीर के अलावा उत्तर प्रदेश, दिल्ली, मध्यप्रदेश, हरियाणा, बिहार, हिमाचल प्रदेश, तथा पंजाब प्रांत के ५०० प्रतिनिधियों ने भाग लिया।
इन प्रतिनिधियो में ओबीसी की कुम्हार, कश्यप, लुहार, बढ़ई, नाई, कलार, तेली, तमोली, यादव, कोरी, मोची एवं सिखो, पसमान्दा मुश्लिम जातियों के प्रतिनिधियो ने अपने अपने विचार रखे। मुख्य अतिथियों, जम्मू - कश्मीर के विद्वान, सामाजिक कार्यकर्ताओं के अलावा श्रीहंसराज जागिड़ दिल्ली, दादा बहादुर म० प्रदेश, बंशीलाल चौधरी, एफ सी सतिया जे एंड के, डा० वरदानी प्रजापति गाजियाबाद, श्री श्रीपाल कानपुर, एल सी राठौर दिल्ली, दयाराम राय झांसी, ई. डी.पी सिंह उत्तर प्रदेश आदि शामिल
सभी उपस्थित प्रतिनिधियों के विचार निम्नवत रहे।
१ - जम्मू कश्मीर मे कल तक घारा ३७० लाग रहने के कारण ओबीसी के साथ सामाजिक अन्याय होता रहा ।
२ - जम्मू कश्मीर में ३२% ओबीसी को ओ एस सी के नाम पर मात्र २% आरक्षण का प्राविधान किया गया। जाती रही है।
४ - ओबीसी को ओएस सी के नाम पर २% का आरक्षण का झुनझुना पकड़ा दिया जाता रह है ।
५ - जब किसी पद का विज्ञापन निकाला जाता रहा तो उसमें सभी प्रकार के पदो को मिलाकर २% आरक्षण का विज्ञापन निकाला जाता रहा। लेकिन अलग पदो के परिणाम को जब जोड़ा गया तो २% भी पूरा नहीं करने की पोल, प्रोफेसर एफ सीसतिया और प्रीवंशीलाल जी जैसे एईबै बी सी फेडरेशन के जागरूक सेनानियों ने पोल पट्टी खोली लेकिन खुली आखो में धूल झोकने का काम अब तक बन्द नही है।
६ - अब से जम्मू कश्मीर में धारा ३७० हटा ली गई और इसे केन्द्र शासित राज्य बना दिया गया। लेकिन ओबीसी को आज भी अन्य केन्द्र शासित प्रदेशों की तरह २७% आरक्षण नहीं दिया जा रहा है यह कानून का खुला उल्लंघन है।
७ - यहा कल भी ओवीसी को आरक्षण के प्राविधानो का लाभ नहीं दिया गया आज धारा ३७० हट जाने पर भी जम्मू कश्मीर में ओबीसी के लिए मात्र २% आरक्षण देकर मण्डल कमीशन की रिपार्ट लागू नहीं की गई है।
८ - निःसन्देह सामानिक अन्याय सबसे ज्यादा जम्मू कश्मीर में कल भी हुआ और आज भी हो रहा है। लेकिन दुःखद पहलू यह है कि कोई भी राजनीतिक दल इस अन्याय का विरोध नहीं कर रहा है।
९ - जम्मू कश्मीर में ओबीसी नाम न होने से तहसीलदार केन्द्र पदों के लिए भी बहुत जद्दो जहाद के बाद यदाकदा ओवी सीका प्रमाण पत्र बनाते हैं।
१० - असलियत तो यही है कि न केवल जम्मू कश्मीर में बल्कि अन्य प्रदेशों में भी कोई राष्ट्रीय दल सामानिक - न्याय दिलाने को तैयार हो नही है।
अभी पिछले महीनों में ५ राज्यो में हुए चुनावो में किसी भी राजनीतिक दल ने सामानिक न्याय को चुनावी मुद्दा नही बनाया ।
देश में ५२ % से अधिक ओबीसी की सख्या होते हुए भी यह अन्याय इसलिए हो रहा है कि ओबीसी सो रहा है उसमें सचेतना का अभाव है ।
देश के सभी ओवीसी को जम्मू कश्मीर के ओवीसी का दर्द समझने और उनके साथसाथ अपने कांटे को निकालने के बारे में सोचना और जितना हो सके उतनी भागीदारी करने की जरूरत है ।