फिल्म ‘फुले’ को करमुक्त करने की मांग:  ओबीसी युवा अधिकार मंच की अपील

महात्मा फुले और सावित्रीबाई के संघर्षों की प्रेरणा

     नागपुर: ओबीसी युवा अधिकार मंच और बलिराजा क्लब ने मिलकर शुक्रवार को एक विशेष आयोजन के तहत फिल्म ‘फुले’ की स्पेशल स्क्रीनिंग का आयोजन किया। यह आयोजन राष्ट्रसंत तुकडोजी महाराज नागपुर विश्वविद्यालय में किया गया, जिसमें लगभग 150 छात्र-छात्राओं ने हिस्सा लिया। इस फिल्म के जरिए महात्मा ज्योतिराव फुले और उनकी पत्नी सावित्रीबाई फुले के जीवन और उनके संघर्षों को दर्शाया गया। छात्रों ने फिल्म के माध्यम से फुले दंपत्ति के वंचित और शोषित समाज के प्रति समर्पण और उनके सामाजिक सुधार के प्रयासों को गहराई से महसूस किया।

Demand to Make Phule Movie Tax-Free - OBC Youth Forums Appeal in Nagpur

     फिल्म में दिखाया गया है कि कैसे महात्मा ज्योतिराव फुले और सावित्रीबाई फुले ने 19वीं सदी में समाज में व्याप्त कुरीतियों और भेदभाव के खिलाफ लंबा संघर्ष किया। उस समय समाज में जातिगत भेदभाव अपने चरम पर था और महिलाओं को शिक्षा से वंचित रखा जाता था। ज्योतिराव फुले ने न केवल शोषित और दलित वर्गों के लिए शिक्षा के दरवाजे खोले, बल्कि उन्होंने समाज में समानता और न्याय की स्थापना के लिए भी अथक प्रयास किए। उन्होंने वंचित वर्गों के लिए स्कूल खोले और दलितों को पानी की टंकी तक पहुंच दिलाने जैसे क्रांतिकारी कदम उठाए। दूसरी ओर, सावित्रीबाई फुले ने देश की पहली महिला शिक्षिका के रूप में 1848 में पुणे में पहला बालिका विद्यालय स्थापित किया। यह उस समय एक साहसिक कदम था, क्योंकि उस वक्त समाज में महिलाओं की शिक्षा को लेकर कई रूढ़ियां और बाधाएं थीं। सावित्रीबाई को अपने इस कदम के लिए सामाजिक बहिष्कार, अपमान और हिंसा का सामना करना पड़ा, लेकिन उन्होंने हार नहीं मानी। उन्होंने विधवा पुनर्विवाह और बाल विवाह जैसी कुप्रथाओं के खिलाफ भी आवाज उठाई। फुले दंपत्ति ने अपने जीवन को शिक्षा और सामाजिक सुधार के लिए समर्पित कर दिया, जिसके प्रभाव आज भी समाज में देखे जा सकते हैं।

     ओबीसी युवा अधिकार मंच के मुख्य संयोजक उमेश कोर्राम ने इस अवसर पर कहा कि यह फिल्म केवल छात्रों के लिए ही नहीं, बल्कि समाज के सभी वर्गों, जातियों और धर्मों के लोगों के लिए प्रेरणादायक है। उन्होंने कहा, “महात्मा फुले और सावित्रीबाई फुले ने सामाजिक न्याय, समानता और शिक्षा के क्षेत्र में जो बलिदान दिए, उन्हें हर नागरिक को जानना चाहिए। यह फिल्म हमें अपने अतीत को समझने और वर्तमान में सामाजिक जिम्मेदारी निभाने के लिए प्रेरित करती है। ऐसी फिल्में समाज को आत्ममंथन करने और सकारात्मक बदलाव की दिशा में सोचने का अवसर प्रदान करती हैं।”

Social Justice Ke Liye Phule Movie ko Tax-Free Karo

     उमेश कोर्राम ने महाराष्ट्र सरकार से अपील की कि फिल्म ‘फुले’ को टैक्स फ्री घोषित किया जाए, ताकि अधिक से अधिक लोग इसे देख सकें। उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि सरकार और स्वयंसेवी संगठन (एनजीओ) मिलकर एक व्यापक पहल शुरू करें, जिसमें सभी स्कूलों और कॉलेजों में छात्रों को यह फिल्म दिखाई जाए। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी कहा कि सरकारी और अर्ध-सरकारी कर्मचारियों के लिए इस फिल्म की विशेष स्क्रीनिंग आयोजित की जानी चाहिए। इससे वे सामाजिक न्याय और समानता की भावना को गहराई से समझ सकेंगे और अपने कर्तव्यों का निर्वहन अधिक संवेदनशीलता और जिम्मेदारी के साथ कर सकेंगे।

     इस आयोजन में शामिल छात्रों ने भी फिल्म की खूब सराहना की। कई छात्रों ने कहा कि फिल्म ने उन्हें फुले दंपत्ति के संघर्षों और उनके योगदान के बारे में गहराई से जानने का मौका दिया। उन्होंने कहा कि यह फिल्म नई पीढ़ी को सामाजिक जागरूकता और समानता की दिशा में सोचने के लिए प्रेरित करती है। ओबीसी युवा अधिकार मंच ने इस फिल्म को समाज के हर वर्ग तक पहुंचाने के लिए सरकार और सामाजिक संगठनों से मिलकर काम करने की प्रतिबद्धता जताई।

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