नागपुर। राष्ट्रीय ओबीसी मुक्ति मोर्चा तरफ संगठन के उदयनगर कार्यालय पर सर्वोच्च न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया गया। पिछले कुछ वर्षों से स्थानीय निकाय चुनाव ओबीसी आरक्षण को लेकर मुकदमेबाजी में उलझे हुए हैं। सुप्रीम कोर्ट ने ओबीसी पर एक अनुभवजन्य रिपोर्ट प्रस्तुत करने के बाद २०२१ में फैसला दिया था कि सभी पिछड़े वर्गों को ५०% की सीमा के भीतर आरक्षण मिलना चाहिए। सरकार ने इस संबंध में बांठिया समिति गठित की थी। इस रिपोर्ट से पता चला कि कई स्थानीय निकायों में ओबीसी आबादी और ओबीसी आरक्षण की सीमा कम कर दी गई है। इसके खिलाफ ओबीसी समुदाय में गुस्सा था। इसके साथ ही राष्ट्रीय ओबीसी मुक्ति मोर्चा ने इसके खिलाफ सत्य खोज मार्च भी निकाला। सुको के फैसले से ओबीसी को राहत और एक तरह से न्याय मिला है। इसलिए राष्ट्रीय ओबीसी मुक्ति मोर्चा ने न्यायालय के निर्णय का स्वागत किया तथा प्रसन्नता व्यक्त की। इस अवसर पर मिठाई वितरित की गई। मुख्य समन्वयक नितिन चौधरी, प्रवक्ता एडवोकेट अशोक यावले, अजय लाम्बट, भाईजी मोहोड, तुषार पेंढारकर, डॉ. अरुण वरहाडे, दिलीप सुरकर, प्रो. दिवाकर मोहोड़, अरुण पटमासे, विनोद दोनाडकर आदि उपस्थित थे।