सिवनी, 14 अप्रैल 2025: बहुजन समाज पार्टी (बसपा) ने सिवनी जिला मुख्यालय में 14 अप्रैल को महात्मा ज्योतिबा फुले और भारतरत्न डॉ. भीमराव आंबेडकर की संयुक्त जयंती को भव्य, गरिमामय और सामाजिक जागरूकता से परिपूर्ण तरीके से मनाया। इस अवसर पर रानी दुर्गावती प्रतिमा स्थल, कचहरी चौक से एक विचारोत्तेजक संगोष्ठी और विशाल वाहन रैली का आयोजन किया गया। इस कार्यक्रम में जिले भर से हजारों कार्यकर्ता, समाजसेवी, बुद्धिजीवी और सामान्य नागरिक उत्साहपूर्वक शामिल हुए, जिसने इस आयोजन को ऐतिहासिक बना दिया।
महापुरुषों के आंदोलनों का प्रभाव: संगोष्ठी में वक्ताओं ने जोर देकर कहा कि महात्मा फुले और डॉ. आंबेडकर के अथक आंदोलनों ने समाज के सबसे निचले पायदान पर खड़े लोगों, विशेष रूप से महिलाओं और बहुजन समाज के जीवन में अभूतपूर्व और क्रांतिकारी बदलाव लाए। शिक्षा का प्रसार, आत्मसम्मान की भावना और अपने अधिकारों के लिए लड़ने की चेतना इन महापुरुषों के संघर्षों का ही परिणाम है। उमाकांत बंदेवार ने विशेष रूप से उल्लेख किया कि इन आंदोलनों ने बहुजन समाज को शिक्षित और आत्मनिर्भर बनाया, जिससे उनकी जिंदगी की दिशा और दशा पूरी तरह बदल गई।
संविधान की रक्षा के लिए सत्ता में बदलाव जरूरी: बसपा के प्रमुख नेताओं, जिनमें जोन प्रभारी उमाकांत बंदेवार, बी.एल. कुमरे, डोमन लाल अहिरवार, एडवोकेट सतीश यादव, राम सिंह परते, मुन्नालाल चौधरी, प्रेमचंद साहू, रामभवन डहेरिया, रवि मेश्राम, मनोहर डहेरिया, सुभाष डेहरिया, और कैलाश डहेरिया शामिल थे, ने संविधान के संरक्षण पर बल दिया। उन्होंने कहा कि डॉ. आंबेडकर द्वारा रचित संविधान के कारण ही आज दबे-कुचले वर्ग, महिलाएं और बहुजन समाज सम्मान के साथ जीवन जी रहे हैं। हालांकि, मनुवादी विचारधारा और पूंजीवादी ताकतें संविधान को कमजोर करने की साजिश रच रही हैं। नेताओं ने स्पष्ट किया कि संविधान की रक्षा केवल भाषणों से नहीं, बल्कि दिल्ली और भोपाल की सत्ता में बसपा की सरकार स्थापित करके ही संभव है। यह लक्ष्य बसपा सुप्रीमो बहन कुमारी मायावती के नेतृत्व में ही हासिल किया जा सकता है।
वाहन रैली: सामाजिक जागरूकता का प्रतीक: संगोष्ठी के बाद आयोजित भव्य वाहन रैली ने सिवनी की सड़कों को सामाजिक न्याय, समानता और बहुजन एकता के नारों से गूंजायमान कर दिया। इस रैली में जिले के सभी विधानसभा क्षेत्रों से बसपा कार्यकर्ता, महिला पदाधिकारी, युवा और सामान्य नागरिक बड़ी संख्या में शामिल हुए। रैली ने एक मजबूत संदेश दिया कि बहुजन समाज अब जाग चुका है और संविधान की रक्षा के लिए संगठित होकर आगे बढ़ रहा है। इस रैली ने सामाजिक चेतना को प्रज्वलित किया और स्थानीय लोगों में एकता की भावना को मजबूत किया।
सामाजिक परिवर्तन का सशक्त मंच: कार्यक्रम की अध्यक्षता बसपा जिलाध्यक्ष लालसिंह नंदौरे ने की। उन्होंने कहा कि यह आयोजन केवल जयंती समारोह नहीं, बल्कि महात्मा फुले और डॉ. आंबेडकर के विचारों को जन-जन तक पहुंचाने और सामाजिक परिवर्तन की चेतना को जागृत करने का माध्यम है। बसपा ने इस आयोजन को महापुरुषों के विचारों को जमीन पर उतारने, युवाओं को शिक्षित, संगठित और संघर्षशील बनाने, और शोषणमुक्त, समतामूलक समाज की स्थापना के लिए प्रेरणा देने के उद्देश्य से किया। यह कार्यक्रम सामाजिक परिवर्तन और जागरूकता का एक शक्तिशाली मंच साबित हुआ।
संगठनात्मक एकता और जनसंपर्क: इस आयोजन की सफलता के लिए बसपा के सभी विधानसभा अध्यक्षों, जिनमें शैलेंद्र कौसरे (केवलारी), बाबूलाल सिगौरे (लखनादौन), जयकुमार डहेरिया (सिवनी), रामप्रसाद बारमाटे (बरघाट), और रामकरण डहेरिया (नगर अध्यक्ष) शामिल थे, ने महत्वपूर्ण जिम्मेदारी निभाई। जिला संयोजक मनोहर डहेरिया (बी.डी.एफ.) सहित अन्य पदाधिकारियों ने स्थानीय लोगों से इस ऐतिहासिक आयोजन में भाग लेकर इतिहास रचने का आह्वान किया, जिससे संगठनात्मक एकता और जनसंपर्क का प्रभावशाली प्रदर्शन हुआ।
बसपा का संदेश: समता और स्वाभिमान में कोई समझौता नहीं: यह आयोजन केवल एक दिन का कार्यक्रम नहीं, बल्कि महात्मा फुले और डॉ. आंबेडकर की विचारधारा को जन-जन तक पहुंचाने और सामाजिक चेतना के अभियान का हिस्सा है। बसपा ने स्पष्ट किया कि जब तक बहुजन समाज सत्ता में हिस्सेदार नहीं बनेगा, तब तक समाज में समता और न्याय की स्थापना अधूरी रहेगी। समता, स्वाभिमान और अधिकारों की रक्षा में कोई समझौता नहीं, यही इस आयोजन का केंद्रीय संदेश था।
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