चंद्रपुर - मराठा समाज को कुणबी प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिय शुरू की गई है. मराठाओं का किया जा रहा ओबीसीकरण यह पिछड़े प्रवर्ग पर अन्यायकारक है. इसलिए मराठा को कुणबी प्रमाणपत्र देने की प्रक्रिया रोकने और ओबीसी में शामिल नहीं करने की मांग जिलाध्यक्ष प्रा. अनिल डहाके और जिला महासिचव विलास माथनकर ने की मांग पर ध्यान नहीं देने पर ओबीसी सेवा संघ ने सरकार को तीव्र आंदोलन छेड़ने की चेतावनी दी. ओबीसी सेवा संघ ने इस संबंध में जिलाधीश के माध्यम से मुख्यमंत्री को ज्ञापन भेजा. इसमें कहा गया कि महाराष्ट्र का ओबीसी, वीजेएनटी, एसबीसी समाज शैक्षणिक, सामाजिक दृष्टि से पिछड़ा है. उच्च शिक्षा के लिए विद्यार्थी जिले, विभाग अथवा पुणे, मुंबई जैसे शहर में रहने के लिए शासकीय सुविधा उपलब्ध नहीं होने से कई ग्रामीण गरीब विद्यार्थी उच्च शिक्षा से वंचित रहते हैं.
अन्य पिछड़ा प्रवर्ग, विमुक्त जाति, घूमंतक जनजाति, विशेष पिछड़ा प्रवर्ग के लिए 36 जिलों में कुल जिलास्तर पर 2 इस तरह 72 छात्रावास कार्यन्वित करने थे. लेकिन वे अब तक शुरू नहीं हुए हैं. साथ ही अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए स्वाधार, अनुसूचित जनजाति के विद्यार्थियों के लिए स्वयं योजना के तर्ज पर ओबीसी विद्यार्थियों के लिए आधार योजना लागू करने की घोषणा शीतकालीन अधिवेशन में उपमुख्यमंत्री फडणवीस ने की थी. उसी तरह अन्य पिछड़े बहुजन कल्याण मंत्री अतुल सावे ने मानसून अधिवेशन में भी ओबीसी छात्रावास शीघ्र शुरू करने की बात कही थी. लेकिन दोनों योजनाएं अभी भी अधर में हैं. विदेशी छात्रवृत्ति योजना में संख्या बढ़ाने के लिए वित्त विभाग ने मंजूरी नहीं दी है.
केंद्र सरकार ने ओबीसी समाज की जातिनिहाय जनगणना करने का निर्णय अब तक नहीं लिया है. देश में आज भी ओबीसी समाज को उसकी जनसंख्या के हिसाब से कम आरक्षण मिल रहा है. ऐसे में मराठा समाज का भी ओबीसीकरण किया गया, तो यह पिछड़े वर्ग के लिए अन्याय होगा. इस संबंध में ध्यान नहीं देने पर तीव्र आंदोलन की चेतावनी देवा पांचभाई, रणजीत डवरे, प्रलय मशाखेत्री, गोमती पांचभाई. कुणाल चहारे, मनीषा बोबड़े, आकोश कडुकर ने दी.
पिछडा घटक उन्नत समाज से प्रतिस्पर्धा नहीं कर सकता. इसलिए पिछड़े समाज को आरक्षण दिया गया है. मराठा समाज का ओबीसीकरण ओबीसी के साथ अन्याय होगा. यदि यह किया गया, तो इसका सीधा असर आगामी चुनावों पर दिखेगा.
- प्रा. अनिल डहाके, जिलाध्यक्ष, ओबीसी सेवा संघ.
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