क्या विज्ञान की तरक्की से अंधविश्वास खत्म हो रहा है? यदि 7 दिन के लिए विज्ञान की बनाई हुई वस्तु को बंद कर दिए तो क्या होगा? आज विज्ञान का प्रकाश सभी तरफ तेजी से फैल रहा है लेकिन क्या इस आधुनिक कहे जाने वाले समाज से अंधविश्वास का अंधेरा खत्म हो रहा है? यह सवाल अंधविश्वास से छुटकारा पाने वाले हर एक व्यक्ति के मन में उठ रहा होगा। मैं बताना चाहूंगा कि अंधविश्वास बहुत ही खतरनाक जानलेवा है, जिसमें हर धार्मिक परिवार किसी न किसी पाखंड, अंधविश्वास में फंसा हुआ है। इस अंधविश्वास की समस्या से समाज हजारों साल से तड़प रहा है। आये दिन अंधविश्वास से लोगों की मौत हो रही है।
घटना का कारण पता नहीं होता तब तक चमत्कार :
मनुष्य में किसी घटना को लेकर ज्ञान नहीं रहता तब तक उस घटना में चमत्कार लगता है। जब उस घटना के कारण को समझने लगते हैं तब धीरे-धीरे चमत्कार खत्म हो जाता है। उस चमत्कार से होने वाला अंधविश्वास भी नष्ट हो जाता है। इसलिए हर घटना के कारण को वैज्ञानिक दृष्टिकोण से समझने का प्रयास करना चाहिए। जिससे हम और हमारा समाज चमत्कार को नमस्कार न करें और अंधविश्वास से मुक्त रहें।
विज्ञान और अंधविश्वास की लड़ाई :
विज्ञान के आने से अंधविश्वास बहुत कमजोर पड़ जाता है। कुछ ऐसा अंधविश्वास जो धर्म से अछूते है खत्म हो जाता है लेकिन जहां घामक अंधविश्वास की बात आती है वहां अंधविश्वास को खत्म करना अंधों को आईना दिखाने जैसा है। इतिहास गवाह है- धर्मग्रंथों के हिसाब से पूरी दुनिया में ये अवधारणा प्रचलित थी कि सूर्य पृथ्वी का चक्कर लगाता है। निकोलस कोपलनिक्स ने धार्मिक अवधारणा के उलट कहा कि पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है, तब उनका बहुत विरोध हुआ कोपलनिक्स के निधन के बाद जब गैलीलियो ने उस थ्योरी को सार्वजनिक करते हुए बताया कि पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है तब गैलेलियो को पूरी जिंदगी नजरबंद रखा गया।
विज्ञान को विरोध का सामना :
विज्ञान को धार्मिक विरोध का सामना करना पड़ता है, चाहे कितना भी वैज्ञानिक मत रख ले, फिर धीरे- धीरे वही धर्म को मानना पड़ा कि वैज्ञानिक खोज ही सत्य है। ऐसा गैलीलियो के साथ भी हुआ पहले विरोध हुआ फिर तीन सौ सालों बाद धार्मिक चर्च को माफी मांगते हुए गैलीलियो की थ्योरी को सत्य मनाना पड़ा और आज हम सब पढ़ते है कि पृथ्वी सूर्य का चक्कर लगाती है।
लोगों को वैज्ञानिक चेतना की जरूरत :
आज वैज्ञानिक चांद पर जा चुके हैं और सूर्य के लिए भी यान भेज चुके हैं लेकिन अंधविश्वास से समाज नहीं निकल पा रहा है। विज्ञान जितना तरक्की करें लेकिन अंधविश्वास को खत्म करने के लिए लोगों को वैज्ञानिक चेतना की जरूरत है तभी देश और समाज अंधविश्वास से निकल सकते हैं। एक अंधविश्वास खत्म होता है तो दूसरा अंधविश्वास का जन्म होता है, ऐसा ही चलता रहता है। कुछ स्वार्थी लोग अपने स्वार्थ के लिए अंधविश्वास को फैलाते हैं जिससे उसका घर-परिवार चल सकें। इसके लिए हर एक तर्कशील व्यक्ति को पाखंडी तांत्रिक के कथित चमत्कारों को वैज्ञानिक जांच पड़ताल कर के खंडन करने की जरूरत है। अंधविश्वास, रूढ़िवाद व तमाम कुरीतियों के खिलाफ आवाज बुलंद करें और बेहतर समाज बनाने के लिए संघर्ष करें।
- हरीराम जाट, नसीराबाद, अजमेर
Satyashodhak, Mahatma phule, dr Babasaheb Ambedkar, Bahujan