चेतन बैरवा, एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट
ओबीसी के लोग जैसे कि गुर्जर, जाट, अहीर, खाती, कुम्हार, माली जबरदस्ती ही इस गलत फहमी में जीते हैं कि वो ऊंची जाति के हैं। जबकि हकीकत यह है कि ब्राह्मण, बनिए क्षत्रिय उन्हें ऊंची जाति का मानते ही नहीं, ब्राह्मण तो उन्हे शुद्र मानते हैं जिसका मतलब होता है नोकर, चाकर, गुलाम और इस बात को ब्राह्मणों के नेता बाल गंगाधर तिलक ने 1895 में ही अपनी पत्रिका केसरी में लिख दिया था कि शुद्र (ओबीसी के लोग) वर्ण का एक मात्र काम ऊपर के तीन वर्णों की सेवा करने मात्र का है लिहाजा नोकर होने के कारण उन्हें किसी भी प्रकार के अधिकार पाने का हक नहीं। यह तो बाबा साहब अम्बेडकर द्वारा बनाए संविधान की मेहरबानी समझो जो कि ओबीसी के लोगो को सभी प्रकार के अधिकार मिले हैं।
ओबीसी के लोगो को खड़ा तो होना चाहिए एससी एसटी के लोगो के साथ और खड़े हो जाते हैं उनके साथ जिन्होंने इनको शुद्र बनाया और अपना नोकर समझा। असल में ओबीसी के लोगो को मनुस्मृति का अध्ययन करना चाहिए ताकि उन्हें पता पड़े कि ऊपर के तीन वर्ण के लोगो में उनका स्थान क्या है। जब मनुस्मृति क्षत्रियों, वैश्यों और महिलाओं को ही कुछ नही समझती तो वो ओबीसी के लोगो को क्या समझेगी, कुछ नही। आरएसएस और बीजेपी का अभी भी यही प्रयास चल रहा है कि ओबीसी के लोगो को फिर से शुद्र बनाया जाये और इनसे नोकर की तरह काम लिया जाए। आरएसएस और बीजेपी लगातार ओबीसी के लोगो के दिमाग पर कब्जा किए बैठी है, कभी मुसलमानों के बहाने से तो कभी हिंदू राष्ट्र के बहाने से । ओबीसी के लोगो को मनुवादियों की इन गहरी चालों को समझना चाहिए। ओबीसी को इस निष्कर्ष पर आना चाहिए कि आरएसएस और बीजेपी उनके लिए कतई फायदे की चीज नही है।
चेतन बैरवा, एडवोकेट सुप्रीम कोर्ट, 8511316341
Satyashodhak, obc, Mahatma phule, dr Babasaheb Ambedkar, Bahujan, Mandal commission