साथ ही आर्थिक स्थिति का सर्वेक्षण भी किया जाएगा
पटना - नीतीश कुमार की सरकार बिहार के संसाधनों से जाति आधारित गणना कराएगी। इसके साथ आर्थिक स्थिति का सर्वेक्षण भी किया जाएगा। सरकार का अनुमान है कि इस गणना करने में करीब नौ महीने का समय लगेगा। गुरुवार को मुख्यमंत्री की अध्यक्षता में हुई राज्य मंत्रिमंडल की बैठक में राज्य के संसाधनों से जाति आधारित गणना करने का प्रस्ताव स्वीकृत किया गया। बैठक में कुल 14 प्रस्ताव स्वीकृत किए गए। मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने बताया कि जाति आधारित गणना के क्रियान्वयन पर करीब पांच सौ करोड़ रुपये का खर्च आएगा। राज्य सरकार ने आकस्मिकता निधि से पांच सौ करोड़ रुपये लेगी।
राज्य स्तर पर सामान्य प्रशासन को संपूर्ण जिम्मा : मंत्रिमंडल की बैठक के बाद मुख्य सचिव आमिर सुबहानी ने मीडिया को बताया कि प्रदेश सरकार ने जाति आधारित गणना के लिए सामान्य प्रशासन विभाग को जिम्मा सौंपा है।उन्होंने बताया कि जिलों में जिलाधिकारी जनगणना के नोडल पदाधिकारी होंगे। सामान्य प्रशासन विभाग और जिला पदाधिकारी ग्रामीण स्तर, पंचायत स्तर एवं उच्चतर स्तर पर विभिन्न विभागों के कर्मियों की सेवा जाति आधारित गणना में ले सकेगी।
फरवरी, 2023 तक गणना का काम पूरा करने का लक्ष्य
मुख्य सचिव ने बताया कि जाति आधारित गणना का काम जल्द ही प्रारंभ होगा। इस काम को पूरा करने में करीब नौ महीने का वक्त लगने की संभावना है । उन्होंने कहा सरकार का लक्ष्य फरवरी, 2023 तक जाति आधारित गणना का काम पूरा करने का है। मुख्य सचिव ने बताया कि करीब नौ महीने चलने वाली जाति आधारित गणना के क्रियान्वयन के दौरान जो भी प्रगति होगी, उसकी जानकारी तमाम राजनीतिक दलों को दी जाएगी। बता दें कि जाति आधारित गणना को लेकर बुधवार एक जून को मुख्यमंत्री नीतीश कुमार ने सर्वदलीय बैठक की थी । बैठक में सरकार की सहयोगी भाजपा के साथ राजद, कांग्रेस, सभी वाम दलों ने भाग लिया था । मुख्यमंत्री ने इस दौरान कहा था कि सर्वदलीय बैठक की सहमति के बाद कैबिनेट की पहली बैठक में इस प्रस्ताव को पारित कराया जाएगा ।
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