सर्वोच्च न्यायालय ने ओबीसी वर्ग के राजनीतिक आरक्षण पर रोक लगाने के पश्चात ओबीसी सीटों पर चुनाव स्थगित कर दिए हैं. ओबीसी संगठनों ने आरक्षण नहीं तो मतदान नहीं की भूमिका अपनाई है. ओबीसी क्रांति मोर्चा ने इसे लेकर परिपत्रक जारी कर जानकारी दी है.
ओबीसी क्रांति मोर्चा के संयोजक संजय मते ने आरोप लगाया है कि केंद्र व राज्य सरकार की अक्षमता के कारण ओबीसी का राजनीतिक आरक्षण खत्म हुआ है. यह अन्याय कई वर्षों से चला आ रहा है. राज्य एवं केंद्र सरकार एक दूसरे पर आरोप लगाते हैं. अनुसूचित जाति जनजाति की जनसंख्या के अनुसार आरक्षण है, वहीं ओबीसी को 1994 में धारा 12,2 सी के अनुसार वैधानिक आरक्षण 73 में सुधार कर ग्रापं, पंस, जिप तथा 74 वे घटना में सुधार कर नपं, नगर पालिका तथा स्थानीय स्वराज्य संस्था को आरक्षण दिया गया.
यह आरक्षण 50 प्रश.से अधिक जाने से नागपुर उच्च न्यायालय में याचिका दाखिल की गयी, लेकिन ओबीसी वर्ग को 27 प्रश.आरक्षण देने के पश्चात 50 प्रश. आरक्षण नहीं जाता.ओबीसी क्रांति मोर्चा ने आरोप लगाया कि केंद्र व राज्य सरकार ने गत 10 वर्षो में ओबीसी के आरक्षण का मद्दा गंभीरता से नहीं संभाला, इसलिए ओबीसी का आरक्षण खत्म हुआ. आरक्षण नहीं तो मतदान नहीं इस तर्ज पर ओबीसी समाज द्वारा मतदान पर बहिष्कार करने का निर्णय लिया है.
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