जातीय जनगणना नहीं चाहती बीजेपी !

 वोट समीकरण गड़बड़ाने का खतरा

Modi government does not want caste-based census     जातीय जनगणना की मांग विपक्षी दलों से लेकर केंद्र में सत्तारूढ़  भाजपा के अंदर खाने भी उठ रही है लेकिन पार्टी नेतृत्व इसके लिए किसी भी कीमत के तौर पर तैयार नहीं है । भाजपा का नेतृत्व मानता है कि ओबीसी के आंकड़े जारी होने का मतलब है कि देश में तीन दशक पूर्व की मंडल की आंधी को दोबारा   चला देना । जिसकी बड़ी चोट उसके हिंदुत्व के मुद्दे पर पड़ेगी, उत्तर प्रदेश व बिहार के भाजपा ओबीसी सांसद भी खुलकर जाति जनगणना की मांग कर रहे हैं ।  लेकिन पार्टी नेतृत्व का डर है कि ओबीसी जनगणना के बाद समीकरण पूरी तरह से बदल सकते हैं ।   इस बाबत भाजपा के एक नेता ने कहा कि इससे समाज का ताना - बाना बिगड़ जाएगा ।  देश में जाति व्यवस्था वैसे ही जटिल है और जातीय जनगणना के बाद चीजें  अव्यवस्थित हो सकती है ।  भाजपाई अच्छी तरह से समझती है कि यूपी बिहारी ही नहीं राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश और दक्षिण के राज्यों में भी राजनीतिक समीकरण पूरी तरह से बदल जाएंगे ।

11 पार्टियों का प्रतिनिधिमंडल मिला था पीएम से 

    बिहार के मुख्यमंत्री नीतीश कुमार के साथ भाजपा, काॅंग्रेस संहिता 11 पार्टियों के प्रतिनिधिमंडल ने प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी से जाति जनगणना के मुद्दे पर मुलाकात की थी । यूपी विधानसभा में अभी ओबीसी के 54% आबादी में भाजपा के 312 विधायकों में से 101 ओबीसी है । बीते कुछ वर्षों में भाजपा, बिहार, यूपी में यादवो को छोड़कर बड़ी संख्या में दूसरी पिछड़ी जातियों के वोट बैंक में सेंध लगाने में कामयाब रही है । जाति जनगणना के फैसले से यूपी के आगामी चुनाव में ओबीसी राजनीति की हवा होगी और नौकरी, शिक्षण संस्थान, संसद और विधानसभा में भी आरक्षण का कोटा बढ़ाने की मांग तेज होंगी । 

ब्राह्मण बनिया व राजपूत को साधे रखने की कवायद

     मंडल सिफारिशों के लागू होने के बाद 1991 में  देश में क्षेत्रीय दलों का ज्‍वार सा उठा,  जो 2009 के आम चुनाव के बाद कमजोर हो गया और ओबीसी समुदाय में भाजपा की पकड़ मजबूत हुई । यूपी में ओबीसी का सबसे बड़ा हिस्सा यादव है जो  आबादी का 19.4 % है ।  इसके बाद 7.5 % कुर्मी, 4.9% लोध, 4.4 % गडरिया, 4.3% निषाद और तेली है । जाट व प्रजापति  3.4 %,  कश्यप 3.39 %  और शाक्य  3.3%  है । बाकी 32 % में दर्जी,  सैनी, लोहार, गुर्जर आदि जातियां हैं. ओबीसी तबका 2009 तक क्षेत्रीय दलों के साथ जुटा रहा लेकिन 2014 के बाद स्थितियां बदली । भाजपा को 2009 के आम चुनाव में 22% और क्षेत्रीय दलों को 42% ओबीसी वोट मिले लेकिन 2019 के चुनाव में स्थितियां बदली और भाजपा को 44% और क्षेत्रीय दल 24%  वोट में सिमट गए । फिर भी भाजपा को जाति जनगणना मंजूर नहीं है क्योंकि उसे अपने मूल वोट बैंक ब्राह्मण, बनिया, राजपूत को भी साधे रखना है ।

 

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