भंडारा : भंडारा शहर आज सामाजिक जागरूकता और प्रेरणा का केंद्र बन गया, जब ओबीसी सेवा संघ और डॉक्टर ग्रुप भंडारा के संयुक्त तत्वावधान में 400 दर्शकों के लिए महात्मा ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के जीवन पर आधारित 'फुले' फिल्म का विशेष स्क्रीनिंग आयोजित किया गया। इस कार्यक्रम में 200 ओबीसी विद्यार्थियों और 200 सामाजिक कार्यकर्ताओं ने उत्साहपूर्वक भाग लिया, जिन्होंने बड़े पर्दे पर फुले दंपति के संघर्षमय जीवन, उनके क्रांतिकारी विचारों और सामाजिक सुधारों को अनुभव किया। यह आयोजन सामाजिक समानता और जागरूकता को बढ़ावा देने की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम साबित हुआ।
'फुले' फिल्म ने दर्शकों के बीच जबरदस्त उत्साह पैदा किया, और भंडारा के निवासियों ने इसे खुले दिल से स्वीकार किया। इस फिल्म ने न केवल फुले दंपति के सामाजिक न्याय, स्त्री-पुरुष समानता, जातिवाद के खिलाफ संघर्ष और अंधविश्वास के विरोध जैसे विचारों को जीवंत किया, बल्कि यह भी दर्शाया कि उनके आदर्श आज भी समाज में प्रासंगिक हैं। दर्शकों ने 'फुले के शिलेदार' की भावना को जीवंत रखने का संकल्प लिया और उनके विचारों की ज्योत को और अधिक फैलाने का प्रण किया। विशेष रूप से युवा दर्शकों ने इस फिल्म से गहरी प्रेरणा ली। विद्यार्थियों ने अपनी प्रतिक्रियाओं में बताया कि इस फिल्म ने उन्हें न केवल सामाजिक समानता और नेतृत्व के गुणों को समझने में मदद की, बल्कि जातिवाद और अंधविश्वास के खिलाफ लड़ने का साहस भी प्रदान किया।
कार्यक्रम में उपस्थित सामाजिक कार्यकर्ताओं और विद्यार्थियों ने मांग की कि 'फुले' फिल्म को टैक्स-मुक्त किया जाए, ताकि यह अधिक से अधिक लोगों तक पहुंच सके और समाज में व्यापक प्रभाव डाल सके। इसके साथ ही, उन्होंने यह भी सुझाव दिया कि ओबीसी सेवा संघ और अन्य सामाजिक संगठनों को इस फिल्म को ग्रामीण और तहसील स्तर पर प्रोजेक्टर के माध्यम से प्रदर्शित करना चाहिए, ताकि गाँव-गाँव तक फुले दंपति के विचारों का प्रचार-प्रसार हो सके। इस तरह के आयोजन सामाजिक चेतना को जागृत करने और युवाओं को प्रेरित करने में महत्वपूर्ण भूमिका निभा सकते हैं।
इस भव्य आयोजन को सफल बनाने में ओबीसी सेवा संघ के भैय्याजी लांबट, जिलाध्यक्ष गोपाल सेलोकर, महासचिव संजीव बोरकर, अरुण जगनाडे, रमेश शहारे, रोशन उरकुडे, ईश्वर निकुले, भाऊराव वंजारी, तुलशीराम बोंदरे, श्रीकृष्ण पडोले, गोपाल देशमुख सहित कई कार्यकर्ताओं और डॉक्टर ग्रुप के बुद्धिजीवियों ने महत्वपूर्ण योगदान दिया। उनके प्रयासों ने इस कार्यक्रम को न केवल सफल बनाया, बल्कि इसे सामाजिक एकता और प्रेरणा का प्रतीक भी बनाया। यह आयोजन भंडारा के सामाजिक इतिहास में एक सुनहरा पन्ना जोड़ने वाला साबित हुआ, जो भविष्य में भी समाज को प्रेरित करता रहेगा।
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