यात्रेत भारत सरकारतर्फे जातीनिहाय जनगणना झालीच पाहिजे हा मुख्य मुद्दा असणार आहे.
दि. 07 मे 2023 MTDC Hotel सिव्हिल लाइन्स नागपूर येथे मंडल यात्रेच्या पूर्वतयारीसाठी आज निवडक ओबीसी, विजेएनटी कार्यकर्त्यांची बैठक पार पडली. मागील वर्षी 1 ऑगस्ट ते 7 ऑगस्ट 2022 पर्यँत विदर्भातील भंडारा, गोंदिया, चंद्रपूर, गडचिरोली,
जाति अंत का सवाल दिल्ली दरबार में दाखिल - प्रोफे. श्रावण देवरे
जाति अंत का एजेंडा राष्ट्रीय स्तर पर एजेंडे के रूप में न आने पाए इसके लिए ब्राह्मणी छावनी सतत दांवपेंच व षड्यंत्र रचती आई है। 1947 तक अंग्रेज शासन में होने के कारण फुले, शाहू, पेरियार व अंबेडकर आदि को जाति अंत का सवाल राष्ट्रीय स्तर पर ले जाना
जातिप्रथा और उन्मूलन - महात्मा गांधी को दिया गया उत्तर - लेखक - डॉ. भीमराव अम्बेडकर
जातिप्रथा - उन्मूलन
द्वितीय संस्करण की प्रस्तावना
लाहौर के जातपांत तोड़क मंडल के लिए जो भाषण मैंने तैयार किया था, उसका हिन्दू जनता द्वारा अपेक्षाकृत भारी स्वागत किया गया। यह भाषण मैंने मुख्य रूप से इन्हीं लोगों के लिए
हिंदू समाज की वर्तमान उथल-पुथल का कारण है, आत्म-परिरक्षण के भावना। एक समय था, जब इस समाज के अभिजात वर्ग को अपने परिरक्षण के बारे में कोई डर नहीं था। उनका तर्क था कि हिंदू समाज एक प्राचीनतम समाज है, उसने अनेक प्रतिकूल शक्तियों के प्रहार को झेला है, अतः उसकी सभ्यता और संस्कृति में निश्चय ही कोई अंतर्निहित
लेखक - डॉ. भीमराव अम्बेडकर
भारत में जातिप्रथा संरचना, उत्पत्ति और विकास
9 मई, 1916 को कोलंबिया यूनिवर्सिटी, न्यूयार्क, अमरीका, में आयोजित
डॉ. ए. ए. गोल्डनवाइजर गोष्ठी में नृविज्ञान पर पठित लेख
भारत में जातिप्रथा
मैं निःसंकोच कह सकता हूं कि हममें से बहुत लोगों ने स्थानीय, राष्ट्रीय या अंतर्राष्ट्रीय