Phule Shahu Ambedkar फुले - शाहू - आंबेडकर
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गर्त में डूबा पुरोहितवाद - लेखक - डॉ. भीमराव आम्बेडकर

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गर्त में डूबा पुरोहितवाद

    प्राचीन आर्यों के समाज में पुरोहिताई के व्यवसाय पर ब्राह्मणों का एकाधिकार था। ब्राह्मणों को छोड़कर कोई अन्य पुरोहित नहीं बन सकता था। धर्म के अभिरक्षक के रूप में ब्राह्मण नैतिक और आध्यात्मिक मामलों में मार्गदर्शक हुआ करते थे । उनको ऐसे मानक स्थापित करने थे, जिनका लोग अनुसरण करते । क्या ब्राह्मणों ने यह मानक स्थापित किए थे? दुर्भाग्यवश जो प्रमाण हमारे पास हैं, वह दर्शाते हैं कि ब्राह्मण नैति रूप से अधोगति के सबसे गहरे गर्त में गिर चुके थे।

    एक श्रोत्रिय ब्राह्मण से अपेक्षा की जाती थी कि वह खाद्य सामग्री का भंडार केवल एक सप्ताह तक के लिए रखे। लेकिन धीरे-धीरे उन्होंने इस नियम की धज्जियां उड़ा दी। उन्हें संग्रह की लत लग गई थी, भंडारित की गई वस्तुएं, भोजन, पेय सामग्री, कपड़े, सज्जा सामग्री, बिस्तर, सुगंधित द्रव्य इत्यादि थीं।

    ब्राह्मणों को मनोरंजक तमाशे देखने का व्यसन हो गया था, जैसे :

    1. नर्तकी का नाच (नक्काम),
    2. गीत गायन ( गीतम),
    3. वाद्य यंत्रों का संगीत (वदितम ),
    4. मेलों के तमाशे (पेखम),
    5. गाथा का सस्वर पाठ (अक्खानम ),
    6. हस्त संगीत (पणिसरम),
    7. भाटों के गीत ( वेताल),
    8. टम-टम वाद्य (कुंभथुनम ),
    9. सुंदर दृश्य (सोभानगरकम),
    10. चांडालों द्वारा नटीय करतब ( चांडाल - वमस-धोपनम् ),
    11. हाथियों, घोड़ों, भैसों, बैलों, बकरियों, भेड़ों, मुर्गों और बटेरों की लड़ाई,
    12. लठैती, मुक्केबाजी, मल्ल में बल परीक्षण, और
    13-16. दिखावटी लड़ाई, हाजरी लेना, युद्धाभ्यास, समीक्षा

Gart main duba purohit wad - dr Bhimrao Ramji Ambedkar

उन्हें विभिन्न खेलों को खेलने तथा अन्य मनोरंजन करने का व्यसन था, जैसे :

1.    आठ या दस चौखानों से बनी बिसात (चौपड़),

2.     हवा में ऐसी बिसात की कल्पना करते हुए उसी प्रकार के खेलों का खेला जाना,

3.     जमीन पर खींची गई लकीरों के ऊपर चलते रहना, जिससे प्रत्येक अपने अपेक्षित निशान पर कदम रख सके,

4.     एक ढेरी में से नाखूनों के बल पर बिना हिलाए मोहरों अथवा मनुष्यों को हटाना अथवा उन्हें ढेरी में रखना। जिससे ढेरी हिल जाती है वह हार जाता है,

5.     पासा फेंकना,

6.     लंबी छड़ी से छोटी छड़ी पर प्रहार करना,

7.     लाख अथवा लाल रंग अथवा गीले आटे में सभी अंगुलियों वाले हाथ को पानी में डुबाना और गीले हाथ को जमीन पर मारना, पुकारकर कहना कि ‘यह क्या होगा', और दिखाना कि यह शक्ल हाथी, घोड़ों आदि की होनी चाहिए.

8.     गेंदों से खेल खेलना,

9.     पत्तों की बनी हुई खिलौने की बांसुरी बजाना,

10.     खिलौने के हल से हल चलाना,

11.     कलाबाजियां दिखाना,

12.     ताड़ के पत्तों की खिलौना पवन चक्की बनाकर खेलना,

13.     ताड़ के पत्तों का खिलौना माप बनाकर खेलना,

14-15. खिलौना गाड़ियों अथवा खिलौना धनुषों से खेलना,

16.     हवा में अथवा साथी खिलाड़ी की पीठ पर लिखे अक्षरों का पूर्वानुमान लगाना,

17.     साथी खिलाड़ी के विचारों का पूर्वानुमान लगाना, और

18.     बहुरूपियापन।

उन्हें ऊंचे और बड़े आसनों को प्रयोग करने का व्यसन था,  जैसे :

1. सचल पीठिकाएं, ऊंची और छह फुट लंबी (आसंदी),

2. तख्त जिसकी पीठ पर पशु आकृतियां खुदी हों (पल्लंको),

3. बकरी के लोमों वाली लंबी चादर (गोनाको),

4. रंगीन थेपली से बनाए गए पलंगपोश (कित्तका),

5. सफेद कंबल ( पट्टिका),

6. फूलों की कढ़ाई युक्त ऊनी शैयावरण ( पट्टालिका),

7. रूई से भरी हुई रजाइया (तुलिका),

8. तोशक जिनमें शेर, बाघ आदि की आकृतियों की कढ़ाई की गई हो (विकाटिका),

9. दोनों तरफ पशु लोम लगे हुए गलीचे (उद्दालोम ),

10. एक तरफ पशु लोम लगे हुए गलीचे (इकतालोमी ),

11.  रत्नजड़ित शैयावरण ( कत्थीसम),

12. रेशमी शैयावरण (कोसीयम),

13. सोलह नर्तकियों के लिए पर्याप्त कालीनें (कुट्टाकम),

14-16. हाथी, घोड़े और रथ के नमदे,

17. हिरण की खालों को सिलकर बनाए गए नमदे ( अगिनापवेनी)

18. दरियां, जिनके ऊपर तिरपाल लगे हों (सौटाराखदाम), और

20. पीठिकाएं, जिनमें सिर और पैरों के लिए लाल तकिए हों।

    ब्राह्मणों को सजने-संवरने तथा अपने आपको सुंदर बनाने का व्यसन था, - जैसे:

    अपने शरीर पर सुगंधित चूर्ण मलना, उससे बाल धोना, और स्नान करना, पहलवान की तरह अंगों को गदाओं से थपथपाना, मालिश करना, दर्पण, आंखों में काजल आदि, पुष्पहारों, कुंकुमी, सौंदर्य प्रसाधनों, कंगन, कंठहारों, छड़ियों, औषधियों के लिए सरकंडे के खोलों, कटारों, सायेबान, कशीदाकारी की हुई चप्पलों, पगड़ियों, पुष्प किरीटों, याक की पूंछ की चंवरों और लंबी सफेद झालरदार पोशाकों का इस्तेमाल करना ।

    ब्राह्मणों को निम्न स्तर का वार्तालाप करने का व्यसन था, जैसे:

    राजाओं, डाकुओं और राज्य के मंत्रियों के किस्से, युद्ध, आतंक और लड़ाइयों के वृतांत, खाद्य और पेय पदार्थों, वस्त्रों, बिस्तरों, फूलमालाओं, इत्रों के बारे में बातें करना, संबंध-संपर्कों, साज-सामान, गांवों, नगरों, शहरों और देशों के बारे में बातें करना, स्त्रियों और सूरमाओं की कहानियां सुनाना, गली के नुक्कड़ों अथवा पनघट की गपशप करना, भूतों की कहानियां सुनाना, बेढंगी बातें करना, पृथ्वी अथवा समुद्र के उद्भव के बारे में अथवा अस्तित्व व अनस्तित्व के बारे में अटकलबाजी करना ।

    ब्राह्मण विवादपूर्ण शब्दावली के प्रयोग के अभ्यस्त थे, जैसे :

    तुम इस सिद्धांत और अनुशासन को नहीं जानते, मैं जानता हूं।

    तुम इस सिद्धांत और विषय को कैसे जान पाओगे।

    तुम गलत विचारों में फंस गए हो। मैं ही केवल सही हूं।

    मैं सही बात बोल रहा हूं, तुम नहीं।

    तुम पहले को बाद में रख रहे हो, और जो बाद में रखना चाहिए, वह पहले रख रहे हो।

    तुमने उपाय निकालने में इतनी देर कर दी, इससे सब कुछ गड़बड़ हो गया है।

    तुम्हारी चुनौती स्वीकार कर ली गई है।

    तुम गलत सिद्ध हुए हो ।

    अपने विचारों को स्पष्ट बताओ।

    अगर कर सकते हो तो अपने-आपको मुक्त करो ।

    ब्राह्मण संदेश ले जाने, दौत्य कार्य करने और राजाओं, राज्य के मंत्रियों, क्षत्रियों, ब्राह्मणों, अथवा युवा मनुष्यों के बीच यह कहते हुए मध्यस्थता करने के अभ्यस्त थे, 'वहां जाओ, यहां आओ, यह अपने साथ ले जाओ, वहां से यह ले आओ।'

    ब्राह्मण जो अपने लाभ की लालसा से प्रवंचक, प्रमादी (देने वालों के लिए पवित्र शब्दों के प्रयोग करने वाले), शगुनियां और ओझा का काम करते थे।

    ब्राह्मण अपनी जीविका कमाने के लिए गलत साधन अपनाते थे और निम्न स्तर की कलाएं दिखाते थे, जैसे :

1.     हस्तरेखा विज्ञान - बच्चे के हाथों, पैरों आदि के निशान से दीर्घ जीवन, समृद्धि आदि (अथवा उसके विपरीत) की भविष्यवाणी करना,

2.     शकुनों अथवा लक्षणों से भविष्यवाणी करना,

3.     बिजली की कड़क और खगोलीय स्थितियां देखकर शकुन-अपशकुन बताना,

4.     स्वप्न की व्याख्या कर भविष्यवाणी करना,

5.     शरीर के निशानों को देखकर भविष्यवाणी करना,

6.     चूहों के कुतरे हुए कपड़ों के निशानों के आधार पर शकुन-अपशकुन बताना,

7.     अग्नि को बलि चढ़ाना,

8.     चम्मच से आहुति देना,

9-13. देवताओं को भूसी भूसी और अनाज का आटा, उबालने योग्य भूसीयुक्त अनाज, घी और तेल की भेंट चढ़ाना,

14.     सरसों मुंह से उगलकर अग्नि में डालना,

15.     देवताओं के लिए भेंट स्वरूप दाहिने घुटने से खून निकालना,

16.     अंगुली की गांठें आदि देखकर मंत्र गुनगुनाने के बाद यह बताना कि अमुक आदमी जन्म से भाग्यशाली है या नहीं,

17.     यह बताना कि जिस स्थान पर मकान अथवा क्रीड़ा स्थल बनना है, वह शुभ है या नहीं,

18.     रीति-रिवाजों के नियमों के बारे में सलाह देना,

19.     दुष्ट आत्माओं को समाधि क्षेत्र में गिरा देना,

20.     भूतों को भगाना,

21.     मिट्टी के घर में निवास करते समय तंत्र-मंत्र का प्रयोग करना,

22.     सांपों के तंत्र-मंत्र बोलना,

23.     जहर की तंत्र विद्या दिखाना,

24.     बिच्छू की तंत्र विद्या दिखाना,

25.     चुहिया की तंत्र विद्या दिखाना,

26.     पक्षी की तंत्र विद्या दिखाना,

27.     कौए की तंत्र विद्या दिखाना,

28.     यह भविष्यवाणी करना कि आदमी कितने वर्ष और जिएगा,

29.     मुसीबत से बचने के लिए तंत्र-मंत्र देना, और

30.     जानवरों को नियंत्रण में रखना ।


    ब्राह्मण निम्न स्तर की कला दिखाकर अपनी आजीविका कमाने के लिए गलत साधन अपनाते थे।

    निम्नलिखित चीजों और प्राणियों में अच्छे और बुरे गुण बताते थे तथा उनके निशान देखकर उसके मालिक को शुभ या अशुभ बताते थे :

    रत्न, तख्ता, पोशाक, तलवारें, बाण, धनुष, अन्य हथियार, स्त्री-पुरुष, लड़के, लड़कियां, दास-दासियां, हाथी, घोड़े, भैंस, सांड, बैल, बकरियां, भेड़, मुर्गा-मुर्गी, बटेर, गोह, हिलसा, कछुए और अन्य प्राणी ।

    ब्राह्मण निम्न स्तर की कलाओं द्वारा अपनी आजीविका कमाने के लिए अनुचित साधन अपनाते थे, जैसे कि इस प्रकार की भविष्यवाणी करना :

    प्रमुख महोदय कूच करेंगे।

    गृह प्रमुख आक्रमण करेंगे और शत्रु पीछे हट जाएंगे।

    शत्रु प्रमुख आक्रमण करेंगे और हमारे प्रमुख हार जाएंगे।

    गृह प्रमुख विजयी होंगे और हमारे प्रमुख हार जाएंगे।

    विदेशी प्रमुख इस ओर विजयी होंगे और हमारे हार जाएंगे।

    इस प्रकार यह पक्ष विजयी होगा, वह पक्ष हारेगा।

    निष्ठावान व्यक्तियों द्वारा दिए जाने वाले भोजन पर निर्वाह करने वाले ब्राह्मण निम्न स्तर की कलाओं द्वारा अपनी आजीविका कमाने के लिए गलत साधन अपनाते थे, जैसे यह भविष्यवाणी करना :

1. चंद्र ग्रहण होगा,

2. सूर्य ग्रहण होगा,

3. नक्षत्रों का ग्रहण होगा,

4. सूर्य अथवा चंद्रमा का विपथन होगा,

5. सूर्य अथवा चंद्रमा अपने सामान्य पथ पर आ जाएंगे,

6. नक्षत्रों का विपथन होगा,

7. नक्षत्र अपने सामान्य पथ पर आ जाएंगे,

8. जंगल में अग्निकांड होगा,

9. उल्कापात होगा,

10. भूचाल आएगा,

11. भगवान वज्रपात करेंगे, और

12-15. सूर्य अथवा चंद्रमा अथवा नक्षत्रों का उदय और अस्त, उनके प्रकाश में तीव्रता अथवा धुंधलापन अथवा पंद्रह प्रकार की भविष्यवाणी करना कि इनके ऐसे परिणाम होंगे।

ब्राह्मण निम्न स्तर की कलाओं द्वारा अपनी आजीविका कमाने के लिए अनुचित साधन अपनाते थे, जैसे :

1. भारी वर्षा की भविष्यवाणी,

2. कम वर्षा की भविष्यवाणी,

3. अच्छी फसल की भविष्यवाणी,

4. अनाज की कमी होने की भविष्यवाणी,

5. शांति की भविष्यवाणी,

6. अशांति की भविष्यवाणी,

7. महामारी की भविष्यवाणी,

8. अच्छी ऋतु की भविष्यवाणी,

9. अंगुलियों पर गणना,

10. अंगुलियों का इस्तेमाल किए बिना गणना,

11. बड़ी संख्याओं का योग करना,

12. गाथा और कवित्त की रचना करना, और

13. वाक्छल दिखाना, कुतर्क करना ।

    निष्ठावान व्यक्तियों द्वारा दिए जाने वाले भोजन पर निर्वाह करने वाले ब्राह्मण निम्न स्तर की कलाओं द्वारा अपनी आजीविका कमाने के लिए अनुचित साधन अपनाते थे, जैसे :

1.     विवाहों के लिए शुभ दिन निश्चित करना, जिसमें वधू अथवा वर को घर लाया जाता है,

2.     विवाहों के लिए शुभ दिन निश्चित करना, जिसमें वधू अथवा वर को भेजा जाता है,

3.     शांति की संधियों को संपन्न करने के लिए शुभ समय निश्चित करना (अथवा सद्भावना प्राप्त करने के लिए तंत्र-मंत्र का प्रयोग करना ),

4.     युद्ध आरंभ करने के लिए शुभ समय निश्चित करना (अथवा विद्वेष उत्पन्न करने के लिए तंत्र-मंत्र का प्रयोग करना ),
 
5.     ऋण लेने के लिए शुभ समय निश्चित करना (अथवा पासा फेंकने में सफलता के लिए मंत्रों का जाप करना ),

6.     धन व्यय करने के लिए शुभ समय निश्चित करना (अथवा पासा फेंकरने वाले प्रतिद्वंद्वी के दुर्भाग्य के लिए तंत्र-मंत्र का प्रयोग करना ),

7.     लोगों को भाग्यशाली बनाने के लिए तंत्र-मंत्र का प्रयोग करना,

8.    लोगों को दुर्भाग्यशाली बनाने के लिए मंत्रों का जाप करना,

9.      गर्भ गिराने के लिए मंत्रों का जाप करना,

10.     किसी व्यक्ति की बत्तीसी जकड़ने के लिए जादू-टोना करना,

11.     गूंगापन लाने के लिए जादू-टोना करना,

12.     किसी व्यक्ति से हार स्वीकार करवाने के लिए जादू-टोना करना,

13.     बहरापन लाने के लिए जादू-टोना करना,

14.     मायावी आइने से भविष्य सूचक उत्तर प्राप्त करना,

15.     किसी भूत - ग्रस्त लड़की के माध्यम से भविष्य - सूचक उत्तर प्राप्त करना,

16.     देवता से भविष्य सूचक उत्तर प्राप्त करना,

17.     सूर्य की पूजा करना,

18.     श्रेष्ठतम की पूजा करना,

19.     अपने मुंह से आग की लपटें निकालना, और

20.     भाग्य की श्रीदेवी को उत्प्रेरित करना ।

    ब्राह्मण निम्न स्तर की कलाएं दिखाकर अपनी आजीविका कमाने के लिए गलत साधन अपनाते थे, जैसे :

1.     निश्चित लाभ हो जाने पर किसी देवता को भेंट अर्पित करने की प्रतिज्ञा करना,

2.     ऐसी प्रतिज्ञाओं के लिए प्रार्थना करना,

3.     मिट्टी के मकान में रहते हुए तंत्र-मंत्र का जाप करना,

4.     पुंसत्व उत्पन्न करना,

5.     किसी आदमी को नपुंसक बनाना,

6.     आवासों के लिए शुभ स्थानों का निर्धारण करना,

7.     स्थानों को पवित्र बनाना,

8.     मुंह धोने का अनुष्ठान करना,

9.     नहाने का अनुष्ठान करना,

10.     बलि चढ़ाना,

11- 14. वमनकारी और रेचक दवाएं देना,

15.     लोगों को सिर दर्द से राहत दिलाने के लिए संस्कारित करना ( अर्थात छींकने के लिए दवाई देना),

16.     लोगों के कान में तेल डालना ( या तो कान बड़े करने के लिए अथवा कान के अंदर के घाव को ठीक करने के लिए),

17.     लोगों की आंखें ठीक करना ( उनमें दवायुक्त तेल डालकर ठंडक पहुंचाना),

18.     नाक के जरिए दवाएं डालना,

19.     आंखों में सुरमा लगाना,

20.     आंखों के लिए मरहम देना,

21.     नेत्र चिकित्सक के रूप में कार्य करना,

22.     शल्य चिकित्सक के रूप में कार्य करना,

23.     बाल- चिकित्सक के रूप में कार्य करना,

24.     जड़ी-बूटियां देना, और

25.     बारी-बारी से दवाइयां देना ।

(अपूर्ण)



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